मेरे विचार
विचारो का जवाला है मन मैं
कहना ये बहुत कुछ चाहते है
लेकिन शब्दों के इन बेड़ियों मैं
कहीं फिर ये चुप हो जाते है
लोग क्या कहेंगे !!
लोग क्या सोचेंगे !!
कुछ कहने से पहले ही
मेरे शब्द वही थम जाते है
क्यों है ये बेड़िया
क्यों अपने शब्दों को तोलूं मैं
क्यों अपने विचारो को मोडू मैं
मेरे विचार मेरे शब्द
मेरा मन जब मर्जी बोलू मैं
आज एक वादा करो जनाब
जब कभी भी बोलू मैं
मेरे विचारो को बहने से रोकना मत
मेरे शब्दों को कचरा समझ फेकना मत
क्या मालूम कही ये जवाला सारी बेड़िया तोड़
तबाही न मचा दे
फिर इंकार न करना (जनाब)
पहले आगाह किया न था।
ज्योति जोशी
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